नकल में अकल कैसे
एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था। पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था।
वह कौआ बड़ा चालाक और धूर्त था। उसकी कोशिश सदा यही रहती थी कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए।
पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे। जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते।
एक दिन कौए ने सोचा-‘वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इसका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा। एकाएक झपट्टा मारकर एक को पकड़ लूंगा।’
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी।
फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा। अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता।
खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया। कौआ अपनी ही झोंक में उस चट्टान से जा टकराया।
नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गई और उसने वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया।
शिक्षा/Moral:-नकल करने के लिए भी, अकल का होना अति आवश्यक है।