ऐतिहासिक स्थान की यात्रा
Aitihasik Sthan Ki Yatra
दशहरे की छुट्टियों में हमने ताजमहल देखने का कार्यक्रम बनाया। निश्चित समय पर हम नई दिल्ली स्टेशन पहुँचे जहाँ से ‘ताज एक्सप्रेस’ द्वारा हमें आगरा पहुँचना था। गाड़ी ठीक समय पर चल दी तथा लगभग साढ़े तीन घंटे में हम आगरा पहुँच गए। अगले ही दिन हम ताजमहल देखने गए। ताजमहल के बाहर प्रांगण में पर्यटकों की भीड़ थी, जिनमें विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में थे। सामने ताजमहल दिख रहा था, जिसे देखकर मैं फूला नहीं समा रहा था। गाइड ने हमें बताया कि यह भवन शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में बनवाया था। इसका निर्माण कार्य सन् 1631 में शुरू हुआ था तथा इसे पूरा होने में बीस वर्ष लगे थे तथा बीस हजार मजदूर कारीगरों ने दिन-रात काम किया था। ताजमहल इतना सुंदर होगा, मैं सोच भी नहीं सकता था। अब तक मैंने इसका चित्र ही देखा था। आँखों के सामने संगमरमर पत्थर से निर्मित इस भव्य इमारत को देखकर मन पुलकित हो उठा। इसका गुंबद, मीनारें, नयनाभिराम पच्चीकारी सभी कुछ अद्भुत था। गुंबद के नीचे मुमताज और शाहजहाँ की करें हैं। जी भरकर ताजमहल देखा, पास के ही एक होटल में जलपान किया, फ़ोटो खिंचवाई तथा ताजमहल का एक नमूना भी खरीदा। शरद् पूर्णिमा को ताजमहल को देखने का आनंद ही कुछ और है।