दादा जी की और से अपने पोते को एक पत्र
मेरठ ।
दिनांक 28 अक्तूबर,
प्रिय राकेश,
सदा सुखी रहो! तुम्हारा प्रसन्नता भरा पत्र कल मिला था । तुम अपने पैरों पर खड़े हो गए. हो, यह पढ़कर सारा परिवार खुशी से नाच उठा । बरसों के बाद तुम्हारे स्वर्गीय पिता की साध आज पूर्ण हुई है । आज वह होता, तो अपनी अमर बेलि को फलता-फूलता देखकर कितना प्रसन्न होता ? खैर, विधाता की इच्छा।
बेटा ! बैंक का कार्य बहुत ही दायित्वपूर्ण है। इसमें हर समय सतर्कता और ईमानदारी की आवश्यकता रहती है । तुम्हारे पिता इन गुणों के धनी थे। जीवन के अंतिम क्षण तक इनका पालन किया । आशा है तुम भी अपने पिता के पद चिह्नों पर चलकर वंश का नाम रोशन करोगे। अगले माह में कुछ दिनों के लिए मैं दिल्ली आऊँगा। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना। घर के सब लोगों की ओर से प्यार भरा आशीर्वाद ।
तुम्हारा शुभाकांक्षी,
रामजी दास