गाँवों का बदलता स्वरूप
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की अधिकतर जनसंख्या गाँव में निवास करती है। ये हमारे देश की महत्त्वपूर्ण इकाई हैं। ‘गाँव’ शब्द सुनते ही हमारे सामने गाँव के हरे-भरे खेत, संदर दृश्य, हल-बैल सहित खेतों में काम करते किसानों की छवि मानस-पटल पर अंकित हो जाती है। आज गाँव अपने परंपरागत स्वरूप से आधुनिक रूप में परिवर्तित हो रहे हैं। स्वतंत्रता से पूर्व हमारे गाँव अनेक समस्याओं; जैसे-अशिक्षा, तकनीकी का अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं में कमी, दूरसंचार, पुरानी कृषि व्यवस्था एवं मनोरंजन के आधुनिक साधनों से दूर थे। स्वतंत्रता के बाद गाँवों में सरकार ने बहुत से सुधार किए हैं तथा ग्राम विकास योजनाओं के क्रियान्वन के फलस्वरूप अब वहाँ पक्के घर, बिजली-पानी की व्यवस्था, चिकित्सा सुविधाएँ, दूर संचार की व्यवस्था, कुटीर उद्योगों के साथ-साथ कई शिक्षा केंद्र भी खोले गए हैं। पक्की सड़कें बनने से अब गाँव नगरों और कस्बों से जुड़ गए हैं। किसानों को कृषि के वैज्ञानिक ढंग से खेती करना सिखाया जा रहा है। आज गाँव में शहरों की भाँति सभी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध हैं, फिर भी गाँव में अनेक समस्याएँ विद्यमान हैं, जिनके समाधान के लिए कारगर कदम उठाए जाने आवश्यक हैं।