बिना विचारे जो करै, सो पाछे पछताय
गिरिधर कवि की इस उक्ति का अर्थ है कि जो लोग बिना सोच-विचार के कार्य करते हैं, उन्हें बाद में पछताना पडता है। इससे एक तो वे अपना काम बिगाड़ लेते हैं तथा साथ ही सारे संसार में हँसी का पात्र बनते हैं। कभी-कभी मानव अविवेक के कारण ऐसे कार्य कर बैठता है, जिनके कारण उसे जीवन भर पछताना पड़ता है। इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है, जब बिना सोचे-समुझे किए गए कार्यों का परिणाम अत्यंत भयंकर निकला है। रावण तथा दर्योधन के उदाहरण जग प्रसिद्ध हैं। रावण अत्यंत महाज्ञानी था, परंतु अविवेक के कारण सीता का हरण किया और पूरे राक्षस कुल के नाश का कारण बना। दुर्योधन का पांडवों को उनका अधिकार न देने का हठ महाभारत के युद्ध का कारण बना। भारतीय राजाओं का अविवेक ही था, जिसने देश को खंड-खंड कर दिया। विदेशी शासकों ने हम पर शासन किया, जिसका खामियाजा हम आज भी भुगत रहे हैं, इसलिए मनुष्य का कर्तव्य है कि वह प्रत्येक कार्य करने से पहले विवेकपूर्ण तरीके से विचार करे। इससे कार्य तो पूर्ण होगा ही संसार में यश भी फैलेगा तथा जीवन सुखद रहेगा।