भारतीय संस्कृति
Bhartiya Sanskriti
संस्कृति समाज या राष्ट्र की सदियों की उपलब्धियों का समूह है। भारत की संस्कृति अत्यंत प्राचीन तथा गौरवशाली है।
‘यूनानो मिस्रो रूमां सब मिट गए जहाँ से, बाकी अभी तक है नामों निशां हमारा।
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा॥
भारतीय संस्कृति आज भी जीवित है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है-अनेकता में एकता। भारत में अनेक प्रकार की विविधताएँ विद्यमान हैं, पर उन सब के मूल में एक अनूठी प्रकार की एकता की भावना विद्यमान है। ईश्वर में विश्वास. उदारता एवं मानव कल्याण की भावना हमारी संस्कृति की अनूठी पहचान है। भारतीय संस्कृति सहिष्णु तथा समन्वयवादी है। अनेक धर्मो तथा मतों को इसने आत्मसात कर लिया है। भारतीय संस्कृति ने विश्व को सत्य, अहिंसा तथा शांति का पाठ पढ़ाया। जीवन के चार आश्रम, चार पुरुषार्थ भारतीय संस्कृति ने ही समूचे विश्व को दिए। “पंचशीन’ और ‘विश्वबंधुत्व’ का पाठ भी भारतीय संस्कृति ने ही पढ़ाया। हमारी संस्कृति का आदर्श है-“सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंत मा कश्चिद दुखभाग्भवेत्।” यह संस्कृति ‘स्व’ पर नहीं बल्कि ‘पर’ पर आधारित है। दुर्भाग्य से आज हम अपनी संस्कृति से दर जा रहे हैं तथा पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध से जीवन की दिशा भूल गए हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी संस्कृति के उच्चादर्शों को अपने जीवन में स्थान दें तथा उन पर गंभीरता से अमल करें।