मेरी प्रिय पुस्तक
हिंदी साहित्य में एक से बढ़कर एक विशाल ग्रंथ, काव्य, उपन्यास आदि उपलब्ध हैं, पर मुझे इन सब में सर्वाधिक प्रिय है-लोकनायक महाकवि तुलसीदास की अमर कृति-‘रामचरितमानस’। रामचरितमानस की विषय-वस्तु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से संबंधित है। तुलसी के राम मर्यादा पुरुषोत्तम, धीर, वीर, लोकनायक, मातृ-पितृभक्त तथा आदर्श चरित्रवान हैं। वे परब्रह्म होते हुए भी एक मानव के रूप में सभी कर्तव्यों का वहन करते हैं। वे एक आज्ञाकारी पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श मित्र तथा आदर्श राजा के रूप में दिखाई देते हैं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की सामग्री नाना पुराणों, वेद शास्त्रों, वाल्मीकि रामायण आदि कई ग्रंथों से ग्रहण की है। राम के अतिरिक्त अन्य पात्रों का चरित्र भी अनुकरणीय है। रामचरितमानस के पात्रों के माध्यम से तुलसीदास ने समाज के सामने आदर्श प्रस्तुत किया है। इस ग्रंथ में ज्ञान, भक्ति और कर्म का अद्भुत समन्वय है। इस ग्रंथ में लोकनीति, लोक संस्कृति और लोकादर्श तीनों का संगम है, इसीलिए यह एक ग्रंथ ही नहीं, नीति ग्रंथ भी बन गया है।