मदारी
A Juggler
हमारे मुहल्ले में कोई-न-कोई मदारी आता ही रहता है। कोई मदारी बंदर-बंदरिया का खेल दिखाता है, तो कोई भालू से नाच कराता है। कोई मदारी साँप के करतब भी दिखाता है।
मदारी के हाथ में एक डंडा और एक डमरू रहता है। डमरू की डम-डम आवाज सुनकर बच्चे दौड़ पड़ते हैं। देखते ही देखते मदारी के चारों ओर बच्चे और बड़े जमा हो जाते हैं।
डमरू की आवाज सुनकर और मदारी का आदेश पाकर बंदर-बंदरिया अपना खेल शुरू करते हैं। बंदरिया बंदर से रूठ जाती है। बंदर उसे मनाता है। फिर दोनों नाचने लगते हैं। खेल समाप्त होने पर बंदर-बंदरिया कटोरा लेकर लोगों से पैसे माँगते हैं। भालूवाला मदारी भालू से नाचने के लिए कहता है। ठुमक-ठुमक कर नाचता हुआ भालू बड़ा अच्छा लगता है।
मदारी बहुत गरीब होता है। वह रूखा-सूखा जो कुछ मिलता है, खा लेता है। सचमुच, मदारी अपने खेलों से हमारा अच्छा मनोरंजन करता है।