अनुशासन
Anushasan
जीवन में अनुशासन का सबसे अधिक महत्व होता है। बाल्यकाल से ही अनुशासन में रहने की आदत डाल लेनी चाहिए। घर हो या स्कूल, बच्चों को हर जगह अनुशासन का पालन करना चाहिए। अनुशासनप्रिय व्यक्ति का सभी सम्मान करते हैं। ऐसे विद्यार्थी न केवल अध्यापक-अध्यापिकाओं के प्रिय होते हैं, बल्कि सहपाठियों के भी प्रिय होते हैं। अनुशासन का पहला पाठ घर से आरंभ होता है। बच्चों को माता-पिता के मार्गदर्शन में कार्य करने की आदत डालनी चाहिए। माता-पिता अपनी संतान को सभी गुणों से पूर्ण देखना चाहते हैं। वे उन्हें सदाचारी बनने की राह पर चलाते हैं। मनुष्य के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय शिक्षा ग्रहण का होता है। स्कूली शिक्षा ज्ञान के दरवाज़े खोलती है। स्कूल में विद्यार्थियों को अध्यापक-अध्यापिकाओं के द्वारा दर्शाए मार्ग पर चलना चाहिए। स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने को व्यक्ति के जीवन का स्वर्ण काल कहा गया है। इस समय ग्रहण किया गया अनुशासन आजीवन काम आता है।