समय का सदुपयोग
Samay ka Sadupyog
भूमिका
लोगों को अपने काम के लिए समय न मिलने की शिकायत, ‘समयधन’ सब कहते हैं किन्तु आचरण कोई नहीं करता।
कारण
समयाभाव नहीं किंतु समय का अनुपयोग व दुरुपयोग। कई समय को आलस्य में खो देते हैं और कई व्यर्थ बातों या अनुपयुक्त कामों में। उदाहरण-विद्यार्थी अपने पाठ का अभ्यास न कर समय को इधर-उधर की बातों में व उपन्यास आदि पढने में या चित्रपट देखने में खोते हैं।
समय का सदुपयोग कैसे हो?
समय की व्यवस्था करो-(1) जिस काम के लिए जो समय रखो उसे उस समय में कर ही डालो। कोई काम कल पर न छोड़ो, लोकोक्ति ‘काल करे सो आज कर’ । (2) व्यवस्था ऐसी बनाओ कि पहले आवश्यक कामों को समय दो। (3) एक समय में एक ही कार्य करो। ‘एक ही साधै सब सधै सब साधै सब जाय’। (4) जिस काम को हाथ में लो उसे पूरा कर छोडो, अधुरा न रहने दो। (5) रात्रि में सोते समय विचार लो कि कोई काम रह तो नहीं गया।
उदाहरण
सभी महापुरुष समय का सदुपयोग करने वाले हुए हैं। नेपोलियन, न्यूटन, महात्मा गाँधी आदि।
उपसंहार
अंग्रेजों में समय की कद्र, भारतीयों में कम, यही अधोगति का कारण।