भारत की ऋतुएँ
Seasons of India
भूमिका
भारत में प्रधान ऋतु तीन-ग्रीष्म, वर्षा, शीत। किन्तु अनुभव से छ:-ग्रीष्म, वर्षा, शरद्, हेमंत, शिशिर, वसंत। वैशाख से चैत तक बारहों मास क्रमशः छः ऋतुओं में विभक्त।
कारण
पृथ्वी का सूर्य के इर्द-गिर्द घूमते समय सूर्य के समीप अथवा दूर हो जाना।
ग्रीष्म
धूप कड़ी, गरम लू, नाले शुष्क, दिन बड़े, रातें छोटी, कीटपतंग। हैजे और प्लेग का प्रकोप, पशुओं की दुर्दशा।
वर्षा
आकाश मेघाच्छादित, चित्त में शांति। बिजली की कड़क, बादल की गर्जना, नदी-नाले जलपूर्ण, बाज़ार-कूचों में कीचड़, खेती रोपना, किसानों का आनंद, वृक्ष-लताएँ हरी।
शरद
बादल, किंतु वर्षा का अभाव। नदीजल निर्मल, वन-उपवन की शोभा, मलेरिया।
हेमंत
पर्वतों पर हिम, सायंकाल में कहरा, पेड़ों के पत्तों का गिर जाना, हाथ-पाँव का जाड़े से ठिठुरना।
वसंत
ऋतुराज। न गर्मी न सर्दी। मंद और सुगंधित वाय। नये पत्ते, वृक्ष पुष्पित। कोयल-कूजन। वसंतपंचमी, होली त्योहार।
उपसंहार
ऐसा ऋतुपरिवर्तन भारत के सिवा अन्य कहीं नहीं मिलता। इंग्लैंड में वसंत, ग्रीष्म, शरद और शीत, उत्तर और दक्षिण ध्रूवों में केवल शीत।