चाय
Tea
भूमिका
झाड़ीदार पौधों की श्रेणी का, सदा हरित। पश्चिम से आया।
जन्म-स्थान, प्राप्ति-स्थान
चीन जन्म-भूमि। पंजाब, आसाम, लंका, ब्राजील जावा, जापान में उपजती है, सर्वत्र प्राप्य।
रोपण और काटने की विधि
पहाड़ी भमि । चैत्र-वैशाख में बीजारोपण। पौधे बड़े होने पर खेत में अलग-अलग रोपना, चार-पाँच हाथ लम्बा होने पर पत्ते काटना। चार फल। पहली फसल सुगन्धित और बहमूल्य। अन्तिम निकृष्ट और अल्पमूल्य। पौधे की आयु।
तैयार करने की विधि
पत्तों को आग पर पूँज और दबाकर सुखाने से हरी चाय, किंतु आहिस्ता-आहिस्ता सुखाने से काली चाय।
प्रयोग-विधि
जल गर्म करके चाय को उसमें डालना। परिमित चाय पीनी चाहिए, अधिक पीने से हानि। कई लोग बिना दूध के पीते हैं।
लाभ
आलस्य दूर कर सजीवता । थकावटनाशक, शरीर की बलिष्ठता। चाय के अध्यवसाय से लाभ।
उपसंहार
इसके विषय में चीनियों में प्रचलित कथा। शीतप्रधान
देश और पश्चिमीय देशों में प्रयोग। भारत में प्रचार। सरकार की ओर से दूध के स्थान पर चाय का प्रचार।