तुम अपने भाग्य के आप निर्माता हो
Tum Apne Bhagya ke Aap Nirmata Ho
भूमिका
बहुत-से मनुष्य भाग्य के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। वे सोचते हैं कि जब समय आएगा तब काम अपने आप बन जाएगा। परिणाम यह होता है कि समय आता है और वे इसी आशा में खाली हाथ संसार को छोड़कर चले जाते हैं। वास्तव में यह एक बड़ी भारी भूल है।
मध्य
तुम अपने भाग्य के आप निर्माता हो। ईश्वर ने मनुष्य को सोचने के लिए बुद्धि और काम करने को हाथ-पैर दिए हैं। तुम्हारा कर्तव्य है कि इनका उपयोग करते हुए परिश्रम के द्वारा संसार में उन्नति करो। संसार के महापुरुषों के चरित्र इस कथन की सत्यता को प्रकट करते हैं। चाणक्य, सिकंदर, नेपोलियन आदि ने इतनी उन्नति अपने बल पर ही की थी। अमरीका का प्रसिद्ध प्रेसीडेंट वाशिंगटन एक किसान का बेटा था। पूँजीपति हेनरी फोर्ड भी गरीब आदमी था। इन सब लोगों ने अपने परिश्रम से ही इतनी उन्नति की है।
उपसंहार
अतः मनुष्य को बहुत परिश्रम करना चाहिए। भाग्य के भरोसे चुप नहीं बैठे रहना चाहिए-अंग्रेज़ी में एक प्रसिद्ध कहावत है-God helps those who help themselves-अर्थात ईश्वर भी उन्हीं की मदद करता है जो स्वयं परिश्रम करते हैं।