बड़े भाई की ओर से छोटे भाई को कुसंगति से सावधान करते हुए पत्र लिखिए।
5/27, प्रशांत विहार,
नई दिल्ली।
दिनांक…………..
प्रिय रचित,
सप्रेम नमस्ते।
कल माताजी का पत्र मिला। इसे पढकर ज्ञात हुआ कि आजकल तुम्हारा मन पढ़ाई में न लगकर बुरे लड़कों की संगति में लगता है। यही कारण है कि प्रथम सत्र की परीक्षा में अनुत्तीर्ण भी हो गए हो। ये कुमित्र तुम्हें ले डूबेंगे।
प्रिय भाई, बुरे लोगों की संगति जीवन को बर्बाद करके रख देती है। इससे तुम्हारा भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। सभी विद्वानों ने सत्संगति का बड़ा महत्त्व बताया है। इससे हमारा जीवन निरंतर प्रगति की ओर जाता है। हमें सज्जनों के वचनों को सुनकर उनका पालन करना चाहिए। कुसंगति तो कालिमा के समान है जिससे हमारा भविष्य अंधकारमय हो जाता है।
कहा गया है-‘जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल होत‘
आशा है, तुम सत्संगति में अपना मन लगाओगे और पुनः शिकायत का अवसर नहीं दोगे।
माता जी को प्रणाम कहना।
तुम्हारा शुभचिंतक
आदित्य सक्सेना