अपनी इस उल्लेखनीय उपलब्धि का समस्त विवरण अपने मित्र को लिखे पत्र में पाया विद्यालय वाद–विवाद प्रतियोगिता में आपने प्रथम परस्कार प्राप्त किया है।
6/22 नवीन निकेतन,
नई दिल्ली।
दिनांक_________
प्रिय मित्र रविकांत,
सप्रेम नमस्ते!
तुम्हें यह जानकर बहुत प्रसन्नता होगी कि पिछले सप्ताह आयोजित ‘अतर्विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता में मैंने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है। पुरस्कार प्राप्त करते समय मुझे बहुत गर्व का अनुभव हो रहा था।
इस प्रतियोगिता में हमारे क्षेत्र के लगभग 80 स्कूलों ने भाग लिया था। कई विद्यार्थी तो मेरे से बड़ी कक्षाओं के भी थे। वे पूरी तैयारी करके आए थे। उनके साथ उनके अध्यापक भी थे, जो उन्हें तरह-तरह से प्रतियोगिता की बारीकियाँ समझा रहे थे।
मुझे अपने पर पूरा आत्मविश्वास था। मैं किसी भी प्रकार से विचलित नहीं था। मैंने अपने लिए निर्धारित समय में अपने विषय को तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया। निर्णायकों को मेरी शैली बहुत पसंद आई। उन्हें मेरा विषय-प्रस्तुतिकरण बड़ा अच्छा लगा। इन्हीं कारणों से मुझे सर्वप्रथम घोषित किया गया। मुझे मुख्य अतिथि उपशिक्षा निदेशक के हाथों पुरस्कार पाने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त हुआ। मैं इस परस्कार को पाकर बहुत उत्साहित हूँ। इस पत्र में मैंने अपनी खशी तुम्हारे साथ बाँटनी चाही है।
तुम्हारा प्रिय मित्र
श्याम वर्मा