भारतीय वायुसेना में ‘पाइलट‘ के पद के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में असफल मित्र को ढाढ़सा बंधाने हुए पुनः प्रयास के लिए एक प्रेरणा–पत्र लिखिए।
852, ए ब्लॉक,
जनकपुरी,
नई दिल्ली।
दिनांक…………………
प्रिय मित्र शशांक,
सप्रेम नमस्ते।
तुम्हारा पत्र मिला। पत्र पदकर ज्ञात हुआ कि तुम पाइलट’ पद के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में असफल हो गए हो। पत्र पढकर लगता है कि इस असफलता ने उन्हें बहुत निराश किया है। निराश होना स्वाभाविक है पर इसे मन से लगा लेना कतई उपयुक्त नहीं ही जावन में सफलता-असफलता का चक्र तो चलता रहता है। असफलता हमें आत्मनिरीक्षण का अवसर प्रदान करती है। इससे शिक्षा लेकर हमें अपनी कमी को दूर कर पुनः प्रयास में जुट जाना चाहिए। असफलता कोई स्थायी वस्तु नहीं है। ‘किंग ब्रूस एंड स्पाइडर’ को कहानी तो तुमने पड़ो-सुनी होगी। कई बार गिरने के बाद मकड़ी ऊपर पहुंचने में सफल हो ही गाई।
मित्र, तुम भो पुनः सफलता पाने के प्रयास में जुट जाओ। अंततः सफलता तुम्हारे चरण चूमेगी। इस उक्ति पर ध्यान दो-‘तर हो, न निराश करो मन को।
आशा है तुम निराशा त्यागकर पुनः तैयारी में जुट जाओगे।
तुम्हारा शुभचिंतक
रविकांत शर्मा