आलसी बेटा व बूढ़ा किसान
बहुत समय पहले किसी गांव में एक बूढा किसान रहा करता था| जो दिन भर बहुत मेहनत करके अपने खेतों में काम किया करता था फिर भी उसका गुजारा बड़ी मुश्किल से चल पाता था… किसान का एक जवान बेटा भी था जिसका नाम अंकित था|
किसान चाहता था… कि अंकित भी घर की जिम्मेदारी लें और कुछ काम करें ताकि घर चलाने में कुछ मदद हो सके, लेकिन अंकित अपनी ही धुन में लगा रहता था.. और आलस के मारे कोई भी काम नहीं करना चाहता था.. पिता की मदद करना तो दूर की बात वह दिन भर बिस्तर में पड़ा रहता था.. या फिर अपने पिता के कमाए हुए पैसों को अपने दोस्तों और अय्याशी में उड़ाया करता था ….
किसान को यह बात बहुत बुरी लगती थी कि अंकित मेहनत से कमाए हुए पैसों का मोल नहीं समझता है.. और फिजूल खर्च करता रहता है किसान ने अंकित को कई बार समझाने की कोशिश भी की थी|
1 दिन किसान ने अंकित को कहा- “बेटा अंकित अब मैं बूढ़ा हो चुका हूं अब यह बूढ़ा शरीर पहले की तरह मेहनत नहीं कर पाता और तू भी तो अब बच्चा नहीं रहा बेटा तू भी कहीं काम देख ले जिससे घर चल सके कब तक यह फिजूलखर्ची करके बाप के पैसे यूं ही दोस्तों पर उड़ाता रहेगा”|
अंकित को पिता की यह बात अच्छी नहीं लगी और वह पिता से बोला- ” क्या पिताजी जरा से पैसों के लिए आप मुझे खरी-खोटी सुनाते रहते हो इतने पैसे मैं जब चाहे आपको लौटा सकता हूं” |
अब किसान समझ गया कि अंकित को डांटने या समझाने का कोई फायदा नहीं |
किसान ने अब एक तरकीब सोची उसने अगली सुबह अंकित को अपने पास बुलाया और कहा अंकित मे खेतों में जा रहा हूं मेरे लौटने तक तूने काम करके कुछ पैसे नहीं कमाए तो इस घर के दरवाजे तेरे लिए बंद हो जाएंगे|
इतना कहकर किसान खेतों की तरफ चल दिया. किसान के जाते ही अंकित सोचनेेे लग गया कि वह पैसे कहां से लाएगा क्योंकि उसे काम के नाम से ही नफरत थी अब उसने एक आसान रास्ता ढूंढा और किसी तरह अपनी मां को मनवा कर मां से कुछ पैसे ले लिए…
जब किसान खेतों से काम करके घर लौटा तो अंकित ने वह पैसे किसान को दिखाएं किसान ने बहुत दुनिया देखी थी. उसेे पता चल गया कि उसने वह पैसे अपनी मां सेे मांगे है उसनेे अंकित से पैसे लिए और उन्हें एक कुएं मैं फेंक दिया अगले दिन किसान ने अपनी पत्नी को मायके भेज दिया.
और फिर अगले दिन फिर किसान ने अंकित को कहा कि वह शाम तक पैसे कमा कर नहीं लाया तो वह उसे घर से निकाल देगा ऐसा कहकर किसान खेतों में चला गया और फिर अंकित सोचने लगा कि वहां पैसे कहां से लाएगा अबकी बार उसने अपनी बहन से पैसे ले लिए जब उसका पिता घर लौटा.
उसने अपने पिता को पैसे दिखाएं तो किसान समझ गया कि उसने यहां पैसे अपनी बहन से लिए हैं किसान ने वह पैसे लेकर उन्हें दोबारा कुएं में फेंक दिया और अगले दिन किसान ने अपनी बेटी को अपने एक रिश्तेदार के यहां भेज दिया.
और अगले दिन फिर किसान ने अंकित को कहा कि वह मेरे घर लौटने तक कुछ पैसे कमा कर नहीं लाया तो वह उसे घर से निकाल देगा.
अंकित अपने जानने वालों और दोस्तों से पैसे मांगे तो उन्होंने साफ साफ मना कर दिया अब अंकित के पास कोई चारा नहीं था.
उसने मन मार कर किसी तरह दिन भर काम किया और पैसे लेकर घर लोटा जहां पहले से ही उसका पिता इंतजार कर रहा था |
जब अंकित ने उन पैसों को अपने पिता को दिए तो किसान दोबारा उन पैसों को कुएं में डालने के लिए आगे बढ़ा तो….
यह देखकर अंकित को गुस्सा आ गया और उसने अपने पिता से कहा कि यह पैसे मैने पूरे दिन अपना खून पसीना एक करके इतनी मेहनत मशक्कत करके कमाए हैं और आप इन्हें कुएं में फेंक कर बर्बाद करना चाहते हो|
यह सुनकर किसान मुस्कुराते हुए बोला बेटा- यह दुख मुझे भी होता था जब तुम मेरी मेहनत की कमाई को अपने दोस्तों के साथ अय्याशी कर के पैसों को बर्बाद करता था| आज तूने मेहनत से पैसे कमाए तो तू समझा है कि मेहनत से कमाए हुए पैसों का मोल क्या होता है मैं तुझे बस यही समझाना चाहता था बेटा अब यह बात कभी मत भूलना|
यह कहकर के किसान ने अपने बेटे को गले लगा लिया अंकित को अपनी गलती समझ आ गई थी और उसने अपने घर का बोझ अपने सर पर ले लिया और फिर किसान को कभी खेतों में जाने का मौका नहीं दिया|