अक्ल बड़ी या भैंस
Akal Badi ya Bhains
आज मनुष्य ने अपनी बुद्धि के बल पर कई असंभव कार्य कर दिखाए हैं। इस चाँद तक पहुँचा तथा विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में एतिहासिक कारनामे अंजाम हैं! शारीरिक बल को बुद्धि के बल की अपेक्षा गौण माना गया है। इससे मनुष्य के भार ही उठा सकता है। इसी तथ्य को प्रमाणित करती यह कथा पेश है:
एक नगर में एक व्यापारी रहता था। वह टोपियां बेचकर अपना पेट भरता था। एक दिन वह टोपियाँ बेचने दूसरे गाँव गया। गर्मी से बेहाल वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। बैठते ही उसे नींद आने लगी और वह सो गया। उसका टोपियों से भरा थैला पास ही
था।
उसी पेड़ पर कुछ बन्दर भी बैठे थे। व्यापारी को सोया देख बन्दर नीचे उतरे और थैले से टोपियाँ निकालकर सिर पर पहन ली और पेड पर चढ गए। नींद खलने पर व्यापारी ने थैला खला देखा और टोपियाँ गायब पाईं, क्या मेरी टोपियाँ कोई चुरा ले गया? यह सोच ही रहा था कि उसकी निगाह ऊपर पेड पर बैठे बन्दरों पर पडी जिन्होंने टोपियाँ पहन रखी थीं।
व्यापारी ने बन्दरों को बहुत डराया, परन्तु टोपियाँ प्राप्त न कर सका।
अन्त में उसने एक उपाय सोचा और अपनी टोपी उतार कर फेंक दी। इस पर बन्दरों ने भी टोपियाँ फेंक दी। व्यापारी ने खुशी-खुशी टोपियाँ एकत्र की और घर की ओर चल पड़ा।
शिक्षा-अक्ल बड़ी या भैंस।