गोपी और जादू का खेल
एक लकड़ा था। उसका नाम था गोपी। उसकी माँ रोज सुबह उसे उठाती थी। गोपी ओ गोपी उठ जा स्कूल जाना हैं।
लेकिन गोपी आँख बंद किये हुए कहता है- बस पाँच मिनट में उठता हूँ।
उसकी माँ जब नहाने के लिए कहती, तो गोपी बोलता है- बस पाँच मिनट में नहाता हूँ।
माँ जब खाना खाने के लिए कहती तो वह बोलता- बस पाँच मिनट में खाता हूँ।
इस तरह पाँच मिनट करते- करते गोपी रोज देर से स्कूल पहुंचता, उसके अध्यापक समझाते – गोपी समय पर स्कूल आया करो।
लेकिन गोपी अपनी आदत के कारण कुछ नहीं सुनता था। कक्षा में भी वह अपना काम कभी समय पर नहीं करता था। दूसरे बच्चें अपना काम समाप्त कर के खेलने चले जाते थे, और गोपी वहीं बैठा रहता था।
एक दिन स्कूल में जादू का खेल दिखाया जाना था। अध्यापक ने बच्चों को सुबह दस बजे आने के लिए कहा था। सभी छात्र समय पर स्कूल पहुँच चुके थे, कुछ बच्चों को देर हो गयी थी, वे भागते – भागते स्कूल जा रहे थे। उस समय गोपी घर के बाहर खेल रहा था|
एक बच्चा बोला- गोपी, जल्दी चलो…जादू का खेल शुरू हो जाएगा।
गोपी ने कहा- तुमलोग चलो, में बस पाँच मिनट में आता हूँ। लेकिन पाँच मिनट बोलते – बोलते उसे देर हो गयी।
जब गोपी स्कूल पहुँचा तो जादू का खेल समाप्त हो चुका था। सभी बच्चें जादू के खेल की बातें करते हुए लौट रहे थे। सभी बच्चे खुश थे, और गोपी उदास था।
फिर उसके अध्यापक ने कहा- गोपी उदास मत रहो, आज से तुम सुबह जल्दी उठो और सभी काम समय पर करो, फिर तुम्हें कभी उदास नहीं होना पड़ेगा।
अब गोपी की बारी- गोपी को उस दिन अपनी गलती समझ में आ गयी, उसके बाद गोपी सुबह जल्दी उठने लगा और वः अपना काम भी समय पर करने लगा। अगले साल जब स्कूल में जादू का खेल दिखाया गया तो गोपी समय पर स्कूल गया, आज वह सबसे पहली कतार में बैठा था, और जादू का खेल देखकर खुश था।
शिक्षा/Moral:- इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती हैं कि हमें सुबह जल्दी उठना चाहिए। अपना काम समय पर करना चाहिए। समय पर काम करने वाले हमेशा खुश रहते हैं।