मैना पक्षी और स्कूली बच्चें
गाँव के पास एक विद्यालय थी। उस विद्यालय में गाँव के छोटे बच्चे पढ़ते थे। जब उनकी छुट्टी होती तो रास्ते मे एक जामुन के पेड़ के पास वे रुकते थे। उस पेड़ पर एक मैना ने अपना घोंसला बनाया था।
बच्चें मैना से कहते- सुनो मैना पक्षी हमें कुछ जामुन गिराओ। मैना बच्चों की आवाज सुनकर पके जामुन गिराती थी। बच्चे जामुन खाकर बहुत खुश होते थे।
एक दिन की बात हैं। मैना पक्षी कही दूर दाना चुनने चली गयी थी। वह वापस लौटते समय अपना रास्ता भूल गयी। मैना के घोंसला में उसके बच्चें बहुत चिंतित थे।
मैना के बच्चो ने- घोंसला के बाहर देखना चाहा, लेकिन वे जमीन पर गिर गए। “मैना के बच्चों को डर लग रहा था, कहीं कौआ उन्हें देख ना ले नहीं तो कौआ उन्हें मार डालेगा”।
उसी समय विद्यालय की छुट्टी हुयी और विद्यालय के बच्चें उस पेड़ के पास आये। उन्होंने मैना के बच्चो को देखा, वे समझ गए कि मैना आज पेड़ पर नहीं हैं। विद्यालय के बच्चो ने मैना के बच्चों को वापस उनके घोसलों में पहुंचा दिया। कुछ समय बाद मैना पक्षी वापस उस पेड़ में आ गयी।
मैना ने अपने बच्चों से उनका हाल पूछा- उन्होंने बताया कि आज विद्यालय के बच्चों ने उसे घोसलें में सुरक्षित पहुँचाया। मैना ने उन्हें बहुत धन्यवाद दिया और अपने बच्चों को गले से लगा लिया।
शिशिक्षा/Moral:- दोस्तों इस कहानी से हमें सिख मिलती हैं कि कर भला तो हो भला।