लालची ब्राह्मण
Lalchi Brahman
लालच मनुष्य का स्वभाव है। थोड़े से रुपए, अधिक दौलत अथवा रूप यौवन की लालसा मनुष्य को चारित्रिक पतन की ओर ले जाती है। इस लोभ-वृत्ति के कारण मानव हमेशा धोखा खाता है। इसी तथ्य को प्रमाणित करती ये कथा प्रस्तुत है।
एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बूढ़ा था अतः शिकार नहीं कर सकता था। एक दिन उसे एक सोने का कंगन मिला। जिसे पाकर शेर बहुत प्रसन्न हुआ। वह एक तालाब के किनारे रहने लगा। एक बार एक ब्राह्मण वहां से गुजर रहा था। जिसे देखकर शेर ने ऊँचे स्वर में कहा-सोने का कंगन दान में ले लो।’ ब्राह्मण ने शेर से कहा, ‘तुम घातक पशु हो, तुम पर विश्वास नहीं कर सकता।’
शेर ने जवाब दिया-तुम्हारी बात ठीक है। मैंने जवानी के समय बहुत लोगों को मार कर खाया है. अब मेरे पंजों के नाखन घिस गए हैं। अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए नदी के किनारे रहता हूँ। अब इस बुढ़ापे में नदी के किनारे रहता हूँ और यह सोने का कंगन दान करना चाहता हूँ। इसलिए आओ और नहाकर यह कंगन ग्रहण करो।
लालची ब्राह्मण शेर की बातों में आ गया और स्नान करने उतरा। वह कीचड़ में फंस गया। शेर ने लपककर उसे पकड़ लिया और मार कर खा गया। इसीलिए कहा गया है, अधिक लालच ठीक नहीं होता।