नन्ही परी का सपना
चमेली एक बहुत सुंदर लड़की थी. उस के गालों के डिंपल बहुत सुंदर लगते थे. वह अपनी पढ़ाई के साथसाथ अन्य कामों को भी बहुत उत्साह से करती थी.
उस का हर समय मुसकराते रहना और सकारात्मक व्यवहार सभी को प्रभावित करता था. वह अन्य बच्चों की तरह थोड़ी शरारती भी थी. एक दिन स्कूल की एसेंबली में पिं्रसिपल ने बताया कि अपने सपने को साकार करने के लिए उस के बारे में सोचना कितना महत्त्वपूर्ण है.
प्रिंसिपल ने कहा- ‘अपनी संभावनाओं और क्षमता की जांच करते रहना चाहिए. अपनी रुचि के क्षेत्रों, विषयों को जानना चाहिए. अपने सपने को पूरा करने के लिए किसी की नकल नहीं करनी चाहिए.’’
फिर से प्रिंसिपल ने समझाते हुए कहा- ‘‘सिर्फ अंकों का अधिक आ जाना ही आप को सफल नहीं बनाता. अपने जीवन में अपने ज्ञान, सोच और सपने का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. इस तरह से चल कर ही सही सफलता मिल सकती है’’ .
उन्होंने आगे बताया- ‘‘अपने सपने को साकार करने का प्रयास करो. इस से तुम्हारे साथसाथ दूसरों को भी फायदा हो सकता है.’’ बच्चों ने तालियां बजाईं.
चमेली ने हाथ उठा कर पूछा- ‘‘सर, मेरे तो कई सपने हैं. क्या मेरे सभी सपने पूरे हो सकते हैं?’’
प्रिंसिपल ने पूछा- ‘‘उन में से कोई एक सपना बताओ?’’
चमेली ने कुछ देर सोचने के बाद कहा- ‘‘मैं अपने आप को स्वर्ग की परी के रूप में देखना चाहती हूं.’’
प्रिंसिपल ने पूछा- ‘‘ क्या किसी और भी बच्चे का यह सपना है?’’ कई हाथ ऊपर उठे.
प्रिंसिपल ने मुसकराते हुए कहा- ‘‘आप लोगों को क्या लगता है कि कुछ महीनों में ही आप का यह सपना पूरा हो सकता है?’’ यह सुन कर वहां शांति छा गई. बच्चे एकदूसरे का मुंह देखने लगे. कुछ बच्चे चमेली की ओर ऐसे देखने लगे, जैसे उस ने यह बेकार सा प्रश्न क्यों पूछा.
चमेली कुछ देर शांत रहने के बाद बोली- ‘‘सर, मैं अपना यह सपना पूरा करने की कोशिश जरूर करूंगी.’’ ‘इस बच्ची के लिए ताली बजाओ,’’
प्रिंसिपल ने कहा- ‘‘हम सभी इस के द्वारा किए गए प्रयास को देखने का इंतजार करेंगे.’’ एसेंबली खत्म होने के बाद बच्चे अपनेअपने क्लासरूम में चले गए. कुछ चमेली की बातों का मजाक उड़ाने लगे.
चमेली ने चुनौती तो स्वीकर कर ली थी, लेकिन उसे पता नहीं था कि इसे पूरा करने के लिए अब क्या किया जाए. वह दिमाग में कई प्रश्नों को ले कर घर वापस लौटी. अन्य दिनों की तरह उस ने शाम को एक गिलास दूध पीया, लेकिन खेलने नहीं गई. वह मम्मी के बगल में जा कर बैठ गई.
मम्मी ने उसे प्यार करते हुए पूछा- ‘‘क्या बात है, मेरी नन्ही परी?’’ चमेली ने एसेंबली में हुई सारी बातें मम्मी को बताईं. ‘‘तुम बहादुर बच्ची हो, इसी लिए तुम ने यह चुनौती स्वीकार की’’ .
चमेली ने पूछा- ‘लेकिन मम्मी अब मैं अपने इस सपने को पूरा करने के लिए क्या करूं?’’
मम्मी ने कहा- ‘‘अपनी आंखें बंद करो और कल्पना करो कि तुम एक परी हो,’’
फिर चमेली ने- अपनी आंखें बंद कीं और अपने सपने के बारे में सोचने लगी.
‘अब इस कागज पर चित्र द्वारा या लिख कर अपने मन में चल रही बातों को लिखो,’’ कह कर मम्मी ने चमेली को एक पैंसिल और चार्ट पेपर दिए. कुछ ही मिनटों में चमेली ने एक सुंदर सा चित्र बना दिया. वह चित्र मम्मी को दिखाया.
मम्मी बोलीं- ‘वाह, बहुत सुंदर,’’. चमेली ने एक सुंदर सा बगीचा बनाया था, जिस में कई तरह के पेड़पौधे, फूल, तितलियां, ड्रैगनफ्लाइ, चिडि़यां, खरगोश, बतख, पंडुक बने हुए थे और इन के बीच में सितारों से सजी गाउन पहन कर चमेली खड़ी थी. उस के 2 सुंदर पंख भी थे.
तभी चमेली के पापा भी औफिस से आ गए. उन्होंने चमेली के स्कूल के बारे में सारी बातें ध्यान से सुनीं.
पापा ने कहा- ‘‘तुम बिलकुल सही रास्ते पर हो’’.
‘सब से पहले तुम्हारा एक सपना होना चाहिए. फिर उस से संबंधित चीजों को कागज पर बना लेना चाहिए. इस के बाद सपने को पूरा करने के लिए योजना बना कर उस पर अमल करना चाहिए|
पापा ने चित्र दिखाते हुए कहा- ‘‘हम इसे पूरा कर सकते हैं.’’
चमेली हैरानी से पापा की ओर देख रही थी.
पापा ने मुसकराते हुए पूछा- ‘‘तुम हैरान क्यों हो रही हो?’’
फिर से पापा ने कहा- ‘हम पहले पौधे लगाएंगे. उन के बड़े होने पर चिडि़यां और तितलियां अपने आप आ जाएंगी’’.
चमेली ने पूछा- ‘‘लेकिन बतख, खरगोश, पंडुक और पंखों वाली परी का क्या होगा?’’
यह सुन कर चमेली के पापामम्मी जोरजोर से हंसने लगे.
पापा ने कहा- ‘चिंता मत करो,’’ ‘‘पहले जो है उससे तो शुरुआत करो.’’ चमेली ने पापामम्मी की सहायता से अपने घर का एक भाग इस ‘ड्रीम प्रोजैक्ट’ के लिए चुन लिया. मम्मी ने गुलाब, अड़हुल, चमेली, बैगनवेलिया, तुलसी आदि पौधे बगीचे के लिए मंगवा लिए.
पापा कुछ गेंदा के बीज ले आए. चमेली ने अपने नए प्रोजैक्ट पर काम शुरू कर दिया, जिसे उस ने गुप्त रखा था. पापामम्मी ने उसे यह सिखा दिया कि बगीचे का ध्यान कैसे रखना है.
स्कूल से आते ही वह अपने पौधों की ओर भागती. वह सूरज डूबने तक वहीं रहती, उन में
पानी देती और उन का ध्यान रखती. पौधे तेजी से बढ़ने लगे. कुछ ही महीनों में उस का बगीचा हराभरा हो गया. वह सुंदर, सुगंधित फूलों से भर गया. जल्दी ही वहां तितलियां, ड्रैगनफ्लाइ और चिडि़यां आने लगे.
वादे के मुताबिक पापा बतख, खरगोश और पंडुक खरीद कर ले आए. मम्मी ने एक उजली साड़ी को सिल कर गाउन बनाया. ‘परी’ दिखने के लिए उस में 2 छोटेछोटे पंख भी लगा दिए.
एक दिन चमेली ने प्रिंसिपल से कहा कि वह सभी को अपना सपना दिखाने के लिए तैयार है. दूसरे दिन चमेली के दोस्त और टीचर उस के घर पहुंच गए. वहां का दृश्य देख कर सभी हैरान थे.
वहां का पूरा बगीचा स्वर्ग की तरह दिख रहा था. रंगबिरंगी तितलियां फूलों के ऊपर उड़ रही थीं. मैना और दूसरे पक्षी अड़हुल और बैगनवेलिया के आसपास उड़ रहे थे. ड्रैगनफ्लाइ वहीं भनभना रहा था.
नजदीक के पीपल के पेड़ से तोते के गाने की आवाज आ रही थी. बतख इधर से उधर घूम रहा?था. खरगोश और पंडुक से बगीचे की सुंदरता और अधिक बढ़ गई थी. वहां गिलहरियां भी दौड़भाग रही थीं. ‘‘बच्चो, तुम इसी तरह अपने सपनों को पूरा कर सकते हो,’’ प्रिंसिपल ने चमेली की प्रशंसा करते हुए कहा.
‘चमेली के ‘परी’ बनने का सपना पूरा हो गया है. साथ ही साथ उस के सपने ने एक ऐसी दुनिया भी बना दी, जहां दूसरे जीवजंतु भी प्यार और भाईचारा से रह सकें. याद रखना, तुम्हारे सपने तुम्हारे साथसाथ दूसरों के जीवन में भी खुशियां ला सकते हैं,’’ प्रिंसिपल ने कहा. सभी ने चमेली के लिए तालियां बजाईं.
चमेली अपने मम्मीपापा के गले से लिपट गई. ‘सपने भी सच हो सकते हैं.’ चमेली खुशी से सोच रही थी.