Home » Children Story » Hindi Moral Story “Punya Kiska Adhik”, “पुण्य किसका अधिक” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.

Hindi Moral Story “Punya Kiska Adhik”, “पुण्य किसका अधिक” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.

पुण्य किसका अधिक

वर्धमान नाम के एक नगर में रूपसेन नाम का एक दयालु और न्यायप्रिय राजा राज करता था। एक दिन उसके यहाँ वीरवर नाम का एक राजपूत नौकरी के लिए आया।

राजा ने उससे पूछा कि- उसे ख़र्च के लिए क्या चाहिए?

तो वीरवर ने जवाब दिया- हज़ार तोले सोना।

राजा को यह सुनकर सबको बड़ा आश्चर्य हुआ।

राजा ने पूछा- “तुम्हारे साथ कौन-कौन है?”

वीरवर ने जवाब दिया- “मेरी स्त्री, बेटा और बेटी।” राजा को और भी अचम्भा हुआ। आख़िर चार जने इतने धन का क्या करेंगे? फिर भी राजा ने सोचा जरूर कोई कारण होगा और उसने उसकी बात मान ली।

उस दिन से वीरवर रोज हज़ार तोले सोना भण्डारी से लेकर अपने घर आता। उसमें से आधा ब्राह्मणों में बाँट देता, बाकी के दो हिस्से करके एक मेहमानों, वैरागियों और संन्यासियों को देता और दूसरे से भोजन बनवाकर पहले ग़रीबों को खिलाता, उसके बाद जो बचता, उसे स्त्री-बच्चों को खिलाता, आप खाता। काम यह था कि शाम होते ही ढाल-तलवार लेकर राजा के पलंग की चौकीदारी करता। राजा को जब कभी रात को ज़रूरत होती, वह हाज़िर रहता।

एक दिन आधी रात के समय राजा को मरघट की ओर से किसी के रोने की आवाज़ आयी। उसने वीरवर को पुकारा तो वह आ गया।

राजा ने कहा- “जाओ, पता लगाकर आओ कि इतनी रात गये यह कौन रो रहा है ओर क्यों रो रहा है?”

वीरवर तत्काल वहाँ से चल दिया। मरघट में जाकर देखता क्या है कि सिर से पाँव तक एक स्त्री गहनों से लदी कभी नाचती है, कभी कूदती है और सिर पीट-पीटकर रोती है। लेकिन उसकी आँखों से एक बूँद आँसू नहीं निकलती।

वीरवर ने पूछा-“तुम कौन हो? क्यों रोती हो?”

स्त्री ने कहा-“मैं राज-लक्ष्मी हूँ। रोती इसलिए हूँ कि राजा रूपसेन के घर में खोटे काम होते हैं, इसलिए वहाँ दरिद्रता का डेरा पड़ने वाला है। मैं वहाँ से चली जाऊँगी और राजा दु:खी होकर एक महीने में मर जायेगा।

सुनकर वीरवर ने पूछा-“इससे बचने का कोई उपाय है!”

स्त्री बोली- “हाँ, है। यहां से पूरब में एक योजन पर एक देवी का मन्दिर है। अगर तुम उस देवी पर अपने बेटे का शीश चढ़ा दो तो विपदा टल सकती है। फिर राजा सौ बरस तक बेखटके राज करेगा।”

वीरवर घर आया और अपनी स्त्री को जगाकर सब हाल कहा। स्त्री ने बेटे को जगाया, बेटी भी जाग पड़ी।

जब बालक ने बात सुनी तो वह खुश होकर बोला-“आप मेरा शीश काटकर ज़रूर चढ़ा दें। एक तो आपकी आज्ञा, दूसरे स्वामी का काम, तीसरे यह देह देवता पर चढ़े, इससे बढ़कर बात और क्या होगी! आप जल्दी करें।”

वीरवर ने अपनी स्त्री से कहा- “अब तुम बताओ।”

स्त्री बोली- “स्त्री का धर्म पति की सेवा करने में है।”

निदान, चारों जने देवी के मन्दिर में पहुँचे। वीरवर ने हाथ जोड़कर कहा, “हे देवी, मैं अपने बेटे की बलि देता हूँ। मेरे राजा की सौ बरस की उम्र हो।”

इतना कहकर उसने इतने ज़ोर से खांडा मारा कि लड़के का शीश धड़ से अलग हो गया। भाई का यह हाल देख कर बहन ने भी खांडे से अपना सिर अलग कर डाला। बेटा-बेटी चले गये तो दु:खी माँ ने भी उन्हीं का रास्ता पकड़ा और अपनी गर्दन काट दी। वीरवर ने सोचा कि घर में कोई नहीं रहा तो मैं ही जीकर क्या करूँगा। उसने भी अपना सिर काट डाला।

राजा को जब यह मालूम हुआ तो वह वहाँ आया। उसे बड़ा दु:ख हुआ कि उसके लिए चार प्राणियों की जान चली गयी। वह सोचने लगा कि ऐसा राज करने से धिक्कार है! यह सोच उसने तलवार उठा ली और जैसे ही अपना सिर काटने को हुआ कि देवी ने प्रकट होकर उसका हाथ पकड़ लिया।

देवी बोली-“राजन्, मैं तेरे साहस से प्रसन्न हूँ। तू जो वर माँगेगा, सो दूँगी।”

राजा ने कहा- “देवी, तुम प्रसन्न हो तो इन चारों को जिला दो।” देवी ने अमृत छिड़ककर उन चारों को फिर से जिला दिया।

इतना कहकर बेताल बोला- विक्रम, बताओ, सबसे ज्यादा पुण्य किसका हुआ?”

विक्रम बोला-“राजा का।”

बेताल ने पूछा-“क्यों?”

विक्रम ने कहा- “इसलिए कि स्वामी के लिए चाकर का प्राण देना धर्म है; लेकिन चाकर के लिए राजा का राजपाट को छोड़, जान को तिनके के समान समझकर देने को तैयार हो जाना बहुत बड़ी बात है।”

यह सुन बेताल ग़ायब हो गया और पेड़ पर जा लटका और विक्रम दौड़ा-दौड़ा उसे पीछे पकड़ने को भागा।

Related posts:

English Short, Moral Story “Duped with a Book" for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, co...
Moral Story
English Moral Story "What does a Woman really want?" for Kids, Full length Educational Story for Stu...
Children Story
Akbar-Birbal Hindi Moral Story "Kavi aur Dhanwan Aadmi", "कवि और धनवान आदमी" for Kids, Educational S...
Children Story
English Short, Moral Story “Two Goats" for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, competitio...
Moral Story
English Short, Moral Story “The Wooden Bow" for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, compe...
Short Story
English Short, Moral Story “Buddhas Plough and Sow” for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 1...
Moral Story
English Short, Moral Story “Never Judge without Understanding” for Kids and Children for Class 5, 6,...
Moral Story
English Short, Moral Story “A Horse and a Stag" for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, c...
Moral Story
English Moral Story "The Thoughtful Work is Never Painful" for Kids, Full length Educational Story f...
Children Story
English Short, Moral Story “Office Boy” for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10, competiti...
Short Story
Hindi Moral Story "Budhimano ki Salah", "बुद्धिमानों की सलाह” for Kids, Full length Educational Stor...
Moral Story
English Short, Moral Story “Solution to Problems" for Kids and Children for Class 5, 6, 7, 8, 9, 10,...
Children Story
English Short Moral Story “Having A Best Friend” for Kids and Children, Essay for Class 5, 6, 7, 8, ...
Children Story
Short Story "The Diamond Ring" for Children, moral story for kids in English for competition with mo...
Children Story
Hindi Moral Story "Jungle hai to Jivan hai", "जंगल ही तो जीवन है” for Kids, Full length Educational ...
Children Story
Hindi Moral Story "Yahan Akal Bikti Hai", "यहां अकल बिकती है” for Kids, Full length Educational Stor...
Children Story
Moral Story "Appearances are deceptive" for Kids and Children, English Story for Class 5, 6, 7, 8, 9...
Children Story
English Inspirational Story “Turn Weaknesses into Strengths” Moral Story for kids and Students.
Moral Story
Hindi Moral Story "Udasi Kaisi”, "उदासी कैसी” for Kids, Full length Educational Story for Students o...
हिंदी कहानियां
Hindi Moral Story "Sher aur Chuha", "शेर और चूहा” for Kids, Full length Educational Story for Studen...
Children Story

About

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.