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Hindi Moral Story “Sohlven Janamdin Par”, “सोहलवें जन्मदिन पर” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.

सोहलवें जन्मदिन पर

एक बार की बात है दूर परियो के देश मेँ एक राजा और रानी रहते थे उनके राज मेँ एक सुंदर परी ने जन्म लिया। राजा ने इस ख़ुशी के अवसर को खूब धूम धाम से मनाया और दूर दूर तक सभी परियोँ को भोजन पर आमंत्रित किया सभी परियो ने उस छोटी सी राजकुमारी को अनमोल तोहफे व खूब सारे आशीर्वाद दिए और कहा कि यह एक समझदार, सुंदर, सुशील और दयालु राजकुमारी बने।

तभी वहाँ एक बूढी दुष्ट पारी आई उसने राजकुमारी को श्राप दिया। वह गुस्से मेँ चिल्ला कर बोली – तेरे सोलहवे जन्मदिन पर तुझे एक सुई चुभेगी और तेरी मृत्यु हो जाएगी। यह सुन कर राजा रानी बहुत दुखी हुए। तभी वहाँ एक दूसरी अच्छी परी आई उसने राजा रानी से कहा आप परेशान ना हो। मै दुस्ट पारी श्राप ख़त्म तो नही कर सकती पर मैँ आपकी सहायता अवश्य करुंगी जब राजकुमारी के सुई चुभेगी तो वह मारेगी नही बल्कि बेहोश हो जाएगी और जब उससे सच प्यार करने वाला एक राजकुमार उसे चूमेगा तो वह पुन स्वस्थ हो जाएगी।

राजा और रानी राजकुमारी के भविष्य को लेकर चिंता मेँ रहने लगे उंहोन्ने अपने राज्य में सुइयों को प्रतिबंधित कर दिया और सुइयों को राज्य की सीमा से बहार कर दिया। और इस प्रकार कई साल बीत गए वह छोटी सी राजकुमारी अब एक सुंदर व समझदार राजकुमारी बन गई थी।

और फिर उसके चौदहवे जन्मदिन पर जब वह महल मेँ टहल रही थी तो उसे एक गुप्त कमरे का दरबाजा मिला। राजकुमारी उत्सुकता बस उस कमरे मेँ चली गई जब उसने कमरे मेँ देखा तो एक बुढ़िया चरखे पर सुई से काम कर रही थी

उस पर राजकुमारी ने आश्चर्य से पूछा -“यह क्या है?”

वह बूढ़ी औरत बोली- ” यह चरखा है राजकुमारी”

राजकुमारी ने कहा- “क्या मैँ इस पर काम कर सकती हू। ”

बूढ़ी औरत सुई को राजकुमारी की ओर देते हुए बोली- ” हाँ क्योँ नहीँ।”

और जैसे ही राजकुमारी न सुई को पकड़ा। बूढ़ी औरत का दिया हुआ श्राप सच हो गया और राजकुमारी बेहोश होकर गिर पड़ी राज्य मेँ दुख की लहर फैल गई और राजा ने घोसना करवाई की राजकुमारी को एक दिव्य पलंग पर और भव्य कमरे मेँ रखा जाए और इधर वह पारी जो राजकुमारी को बचाना चाहती थी| आई और जादुई छड़ी को घुमाते हुए कहा -” सोने दो उसे जो हे राजकुमारी के साथ उठाएगा जब उसे कोई राजकुमार तब सब पकड़ेंगे उसका हाँथ ” और ऐसा कहते ही जो प्राणी जहां था वही रुक गया और हर तरफ शांति हो गयी।

सभी पत्थर की मूरत के सामान जम गए। और फिर कई सो साल बीत गए उनके राज्य को जंगलो ने धक लिया। और फिर एक दिन एक सुन्दर राजकुमार भटकते हुए उधर आ पंहुचा। राजकुमार ने जब उस राज कुमारी को देखा तो वह उसके रूप पर मोहित हो गया।

उसने मन ही मन राजकुमारी की प्रस्सनशा की और उसके नरम हाथो को चुमलिया। राजकुमार के द्वारा राजकुमारी को चूमते ही पूरा राज्य वापस वैशा ही हो गया जैसे पहले था और राजकुमारी को भी होश आ गया। राजा ने इस दिन को एक पर्व और उत्सव की तरह मनाया और उन् बोनो का विवाह कर दिया। राजकुमार व राजकुमाई सुखी सुखी वही रहने लगे।

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