परीक्षा में पास होने पर मित्र को बधाई पत्र ।
बदायूँ ।
दिनांक 10 जुलाई, ..
प्रिय निखिल,
सप्रेम नमस्ते ।
दो दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम स्नातक हो गए हो। आगे शिक्षा की ओर तुम्हारा क्या दृष्टिकोण है ? इस पर तुमने कुछ भी नहीं लिखा । मुझे लगता है कि तुम यहीं से अपने नए जीवन में प्रवेश करना चाहते हो । ऐसा ठीक ही रहेगा। मैंने पढ़ा है कि मानव द्विज होता है। उसका पहला जन्म तो जननी की कोख से बाहर आने के समय होता है; पर उस स्थिति में वह मायावी दुनिया में प्रविष्ट नहीं हुआ होता । इसमें उसका प्रवेश द्वितीय जन्म के बाद ही होता है। यह द्वितीय जन्म विद्वान बनने के बाद स्वावलंबी होने पर होता है। आज तुम समाज की दृष्टि में द्विज बन गए हो। इस शुभावसर पर मेरी शुभकामनाएँ स्वीकार करो।
मैं यहाँ पर हर्षोल्लास में अपने जीवन के क्षण काट रहा हूँ । दशहरे पर शायद दिल्ली आऊँ। मेरे योग्य कोई सेवा हो तो लिखना ।
तुम्हारा चिरस्नेही,
अमरकांत