पुरस्कार मिलने पर बधाई पत्र ।
नैनीताल ।
दिनांक 1 जनवरी,………..
श्रद्धेय श्री सुमित्रानंदन पंत जी,
सादर प्रणाम ।
आप मुझसे परिचित नहीं हैं; किंतु मैं आपकी काव्यकला के माध्यम द्वारा आप से भली-भांति परिचित हूँ। आप की कृतियाँ मुझे सदैव से बहुत ही पसंद रही है । गत सप्ताह के ‘नवभारत टाइम्स’ में यह समाचार पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि इस वर्ष का अखिल भारतीय ज्ञानपीठ का एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार आपकी सर्वोत्तम रचना ‘चिदंबरा’ पर दिया गया है। यह संयोग की बात है कि आपकी यह रचना इस पुरस्कार के योग्य समझी गई है, अन्यथा मेरी बुद्धि के अनुसार तो आपकी सभी रचनाएँ इस प्रकार के पुरस्कारों के योग्य हैं । इस भारतीय ज्ञानपीठ के पुरस्कार द्वारा भारतीय विद्वानों ने आपकी प्रतिभा के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है। वस्तुतः यह कथन असाध्य ही है कि इस पुरस्कार द्वारा आपका सम्मान बढ़ा है अथवा आपके द्वारा अखिल भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार का मान बढ़ा है।
इस शुभावसर पर इस अनजाने भक्त की हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए कि भगवान आपको दीर्घकाल तक इस योग्य बनाए रखें, कि आप अपनी अमर कृतियों द्वारा हिंदी जगत के भंडार को इसी तरह भरते रहें ।
आपका,
अपरिचित भक्त