नानी जी को नातिन की और से एक पत्र – औपचारिक ।
मेरठ ।
दिनांक 29 अक्टूबर,
पूज्या नानी जी,
सादर प्रणाम !
हम सब यहाँ पर सकुशल पहुँच गए हैं । यात्रा बडी कष्टप्रद रही थी । मुरादाबाद में हमारे डिब्बे में कुछ मुसाफिरों में जगह को लेकर झगड़ा हो गया । इस स्थिति को देखकर माता जी तो घबरा उठीं । कुछ मिनटों में रेलवे पुलिस ने झगडे को शांत किया । टिकट चैकरों ने बिना टिकट के यात्रियों को पकड़ कर दंडित किया। इस प्रकार डिब्बे में कुछ असुविधा हुई । इसके बाद की यात्रा शांतिप्रद रही।
कल सरोज दीदी को देखने के लिए कुछ लोग दिल्ली से आ रहे हैं । संबंध पक्का होने पर उसकी सूचना दूँगी । हलवानी की अपेक्षा यहाँ पर ठंड कम है । रात्रि को केवल कंबल लेना पडता है । बरमे के पानी में स्नान से आनंद आ जाता है । नरेंद्र आपको बहुत याद करता है । पिता जी और माता जी का इच्छा है, कि आप भी कुछ दिनों के लिए यहाँ आ जाएँ ।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
आपकी प्यारी बिटिया,
संगीता