लेखनी मित्र को उसके पिछले पत्र का जवाब देते हुए पत्र
गोमती कुटीर,
त्रिवेंद्रम ।
दिनांक 18 मई,
प्रिय बंधु अतुल,
सप्रेम नमस्ते !
अत्र कुशलं तत्रास्तु । तुम्हारा 15 मई का पत्र और उसके साथ ही चार फोटोग्राफ़ तथा एक प्रकाशित चित्र भी मिले । ये दोनों चीजें बहुत पसंद आई । वास्तव में तुम चित्रकला के साथ-साथ फोटोग्राफी में भी पूर्णतया दक्ष हो ।
इन सब में लोदी मक़बरा वाला फोटोग्राफ़ बहुत ही सुंदर है । इसमें प्रकाश और छाया का समन्वय बहुत ही सुंदर हुआ है । खेलते हुए बच्चों का फोटो बहुत ही सजीव बन पड़ा है । तुम्हारी चित्रकला का नमूना भी देखा । तुम्हारी तूलिका ने आज की ज्वलंत समस्या का यथार्थ चित्र चित्रित किया है। उस पर प्रथम पुरस्कार मिलना ही चाहिए था।
बड़े होकर तुम अपने युग के एक महान कलाकार बन सकोगे, ऐसी मेरी कामना है । तुम्हारी इच्छानुसार मैं कुछ चित्र त्रिवेंद्रम सुषमा के और दो चित्र कन्याकुमारी के सूर्योदय एवं सूर्यास्त के भेज रही हूँ। ये फोटोग्राफ़ तुम्हारे फोटोग्राफ की तुलना में तो नहीं आ सकते, पर तुम्हारी कार्य सिद्धि इनसे अवश्य हो सकती है।
तुमने इतने बढ़िया फोटोग्राफ़ किस कैमरे से लिए हैं, सो लिखना। मेरा कैमरा पुराना हो चुका है । नया लेना चाहती हूँ। जैसे फोटोग्राफ़ उससे खिंच सके हैं, वे तुम्हारे सामने हैं।
दिल्ली के कुछ दर्शनीय स्थलों तथा हिमालय दर्शन के कुछ फोटोग्राफ़ भेज सको, तो भेजना । इधर कुछ और नए चित्र में अगले सप्ताह में भेज दूंगी।
आशा है कि मेरी फोटोग्राफी के विषय में तत्काल अपनी सम्मति
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में ।
तुम्हारी सद्भावी,
विपला