राष्ट्रीय एकता
Rashtriya Ekta
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह अनेक धर्मों, जातियों, भाषाओं तथा संप्रदायों का देश है। इस विशाल गष्ट में हिंदू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी अनेक धर्मावलंबी रहते हैं। इतनी प्रकार की विविधताओं वाला यह देश संभवत: विश्व में अकेला ही है, पर इस अनेकता में भी एकता दृष्टिगोचर होती है। जिस प्रकार किसी उपवन में भाँति-भाँति के सुमन खिले होते हैं, सबकी अलग-अलग सुगंध और बनावट होने पर भी उपवन की सुंदरता निखरती है, बहुरंगी हो जाती है और अधिक आकर्षक लगती है, उसी प्रकार भारत की विभिन्नताएँ अलग-अलग फूलों की तरह है, जिन्हें एकसूत्र में पिरोया गया है। इतना होने पर भी राष्ट्रीय एकता के मार्ग में कुछ बाधाएँ हैं, जैसे-भाषागत भेद, दूषित सांप्रदायिकता, नदियों के जल का विवाद आदि। धर्मांध एवं स्वार्थी धर्म गुरु भी समय-समय पर लोगों की धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं तथा राष्ट्रीय एकता को क्षीण करते हैं। राष्ट्रीय एकता को पुष्ट करने के लिए हमें धर्मांध तथा अदूरदर्शी धर्म गुरुओं से सावधान रहना होगा तथा अपने दृष्टिकोण को विस्तृत करके राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में चिंतन करना होगा।