भारत में इंटरनेट जनसंचार
Bharat mein Internet Jansanchar
इंटरनेट जनसंचार का सबसे तेज़ी से लोकप्रिय होता माध्यम है। यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें प्रिंट मीडिया, रेडियो, टेलीविजन, किताब, सिनेमा, यहाँ तक कि पुस्तकालय के सारे गुण विद्यमान हैं। इसकी पहुँच दुनिया के कोने-कोने तक है। इसकी रफ्तार का कोई जवाब नहीं है। इसमें अनेक माध्यमों का समागम है। इंटरनेट विश्वव्यापी जाल है। इसके भीतर करोड़ों पन्नों की सामग्री भरी हुई है। इसमें आप पल भर में अपने मतलब की सामग्री खोज सकते हैं।
यह एक अंतर क्रियात्मक माध्यम है यानी आप इसमें मूक दर्शक नहीं है। आप सवाल-जवाब कर सकते हैं, बहस में भाग ले सकते हैं। आप चैट कर सकते हैं और मन हो तो अपना ब्लाग बनाकर पत्रकारिता की किसी बहस में भाग ले सकते हैं। आप किसी बहस के सूत्रधार भी बन सकते हैं। इंटरनेट पर आप रेल या हवाई जहाज़ का टिकट ले सकते हैं। इंटरनेट ने हमें मीडिया समागम यानी कनवर्जेस के युग में पहुँचा दिया है और संचार की नई संभावनाएँ जगा दी हैं। इंटरनेट का प्रयोग सूचना, मनोरंजन, ज्ञान और व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक संवादों के आदान-प्रदान कर सकते हैं। इंटरनेट पत्रकारिता का महत्व भी दिन-प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। इसे अनि लाइन पत्रकारिता, खबर पत्रकारिता या वेब पत्रकारिता भी कहा जाता है। इंटरनेट पर आप एक झटके में ‘झुमरी-तलैया’ से लेकर ‘होनो लूलू’ तक की खबरें पढ़ सकते हैं। इंटरनेट पर खबरों का आदान-प्रदान ही वास्तव में इंटरनेट पत्रकारिता है। आज प्राय: सभी प्रमुख अखबार परे के पूरे इंटरनेट पर उपलब्ध हैं। आज पत्रकारिता की दृष्टि से ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’, ‘हिंदुस्तान टाइम्स’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’, ‘हिंदू’, ‘ट्रिब्यून’, ‘एन०डी०टी०वी०’, ‘जी न्यूज’, ‘आज तक’, ‘आउट लुक’ आदि साइटें ही बेहतर है।
यह ठीक है कि इंटरनेट ने जहाँ पढ़ने-लिखने वालों तथा शोधकर्ताओं के लिए संभावनाओं के नए कपाट खोल दिए हैं, वहीं इंटरनेट अश्लीलता, दुष्प्रचार और गंदगी फैलाने का जरिया भी बन गया है। इसमें लाखों अश्लील पन्ने भर दिए गए हैं। इनका बच्चों के कोमल मन पर बुरा असर पड़ता है। विगत वर्षों में इसके दुरुपयोग के अनेक उदाहरण सामने आए हैं।
अतः हर सुविधा की भाँति इंटरनेट के भी गुण-दोष हैं। अब हमें यह तय करना है कि हम उनमें से किसका चुनाव करें।