जैसा करोगे वैसा भरोगे
Jaisa Karoge Vaisa Bharoge
भूमिका
संसार में कोई धनी है, कोई निर्धन। कोई विद्वान् है, कोई मूर्ख! इसका कारण यह है कि जिसने जैसे कर्म किए वैसा उसे फल मिला।
मध्य
जो व्यक्ति बाल्यकाल में परिश्रम करके विद्या प्राप्त करते हैं वे बड़े होकर ऊँचे पद पर आसीन होते हैं। उन्हें प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त होता है। इसके विपरीत जो आलस्य में समय खोते हैं, उनका बाद का जीवन दुखमय व्यतीत होता है। ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी रामकृष्ण का आदि का जीवन इस बात का साक्षी है। इसी प्रकार घनश्याम दास बिरला, फोर्ड आदि पूँजीपतियों की सफलता अपनी अतुल दृढ़ता तथा अथक परिश्रम के ही परिणाम हैं।
जो लोग दुष्कार्य करते हैं उन्हें फल भी वैसा ही मिलता है। चोरी, डाका, हत्या, व्यभिचार आदि करने वालों पर कोड़े पड़ते हैं। उन्हें बंदीगृह में वर्षों सड़ना पड़ता है। जिन्हें जुआ, शराब, चोरी, कर्ज़ आदि के व्यसन पड़ जाते हैं वे अंत में आत्महत्या करते देखे गए हैं। अतः सिद्ध यह है कि जैसा करोगे वैसा भरोगे। बबूल बोएगा तो काँटे लगेंगे और आम बोएगा तो मीठे आम खाएगा।
उपसंहार
ईश्वर ने मनुष्य को सुख प्राप्त करने तथा पुण्य कार्य करने के लिए उत्पन्न किया है। यही कारण है कि जब हम दुष्कर्म करते हैं तो हमें उसका बुरा फल अवश्य मिलता है। उसके यहाँ देर हो सकती है, अंधेर नहीं। अतः हमें शुभ-कार्य करने चाहिए।