कुतुबमीनार
Qutub Minar
स्थिति और स्थापना
दिल्ली में लालकिले से बारह मील दूर महरौली नामक स्थान में स्थित। इसकी स्थापना के विषय में अनेक मत हैं। ऐतिहासिकों का कथन है कि पृथ्वीराज चौहान ने विजय स्तंभ के रूप में इसे बनवाया। कई कहते हैं कि गुलाम वंश के प्रवर्तक कुतुबुद्दीन ने बनवाया। कुछ भी हो यह 1220 ई. में संपन्न हुआ।
वर्णन
भारत का सर्वोच्च मीनार पंद्रह मील की दूरी से भी दिखाई देता है। पहले इसकी सात मंज़िलें थीं। दो गिरा दी गई हैं। अब केवल पाँच हैं। 234 फीट ऊँचा। ऊपर की दो मंजिलें संगमरमर की, नीचे की तीन पत्थर की। ऊपर चढ़ने की 378 सीढ़ियाँ हैं। नीचे की तीन मंजिलों में खुदाई का काम और लेख। सीढ़ियाँ चढ़ते हुए साँस फूलता है। चोटी से देहली का अति सुंदर दृश्य दिखाई देता है। हुमायूँ का मकबरा, पुराना किला, फिरोजशाह कोटला, जामा मस्जिद, नई दिल्ली दिखाई पड़ती है। नीचे के आदमी बौने दीखते। बरसात में दृश्य अति मनोहर।
लोकप्रियता और प्रसिद्धि
अकेले मीनार के रूप में संसार में सर्वोच्च । भूकंपों के कारण कुछ टेढ़ा हो गया किंतु स्थिर है। दूर-दूर से लोग देखने के लिए आते हैं। इसके आसपास अब भी कई ऐतिहासिक स्थान-लौहस्तंभ और भूलभुलैया।