लेखनी मित्र को पत्र – औपचारिक ।
श्याम भवन,
दरियागंज, नई दिल्ली -2 ।
दिनांक 15 मई,
प्रिय कुमारी विपला,
सप्रेम नमस्ते ।
अत्र कुशलं तत्रास्तु । दो दिन पूर्व ‘लेखनी मित्र संघ’ कोलकाता की पत्रिका में तुम्हारा पूर्ण परिचय पढ़ा । मुझे यह जानकर अत्यंत खुशी हुई कि तुम भी मेरी भाँति ही कला प्रेमी हो । अत: मैत्री संबंध स्थापित करने के लिए यह पत्र लिख रहा हूँ।
मैं यहाँ दिल्ली पब्लिक स्कूल, नई दिल्ली की दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। वैसे मैं कोलकाता का ही रहने वाला हूँ। मौसी के यहाँ दिल्ली में अध्ययन के लिए आया हुआ हूँ । एक प्रकार से घर वालों से दूर रहने का मुझे अभिशाप-सा मिला हुआ है।
मझे चित्रकला और फोटोग्राफी का बड़ा शौक है । मैं यहाँ पर शंकर चित्रकला प्रतियोगिताओं में सदैव भाग लेता रहा हूँ। कई बार मेरे बनाए हुए चित्रों पर प्रथम व द्वितीय पुरस्कार भी आए हैं। वे पुरस्कृत चित्र यथासमय ‘शंकर वीकली’ के वार्षिक अंक में प्रकाशित हुए हैं। इसके अतिरिक्त छुट्टी के दिन मैं यहाँ के आस पास के प्राकृतिक दृश्यों के अवलोकनार्थ निकल जाया करता हूँ, उनमें से कुछ को तूलिका से कागज़ पर उतार लेता हूँ और कुछ को कैमरे से रील में बंद कर लेता हूँ। मेरी एलबम में लोक-जीवन से संबंधित चित्र भी भरे पड़े हैं।
तुम दक्षिण भारत की स्वर्गिक स्थली में रह रही हो । नारियल के ऊँचे-ऊँचे पेड़ और त्रिवेंद्रम से कन्याकुमारी तक नौका विहार का तो तुमने कितनी ही बार आनंद लूटा होगा । कदाचित प्रकृति के सुंदर दृश्यों को भी उतारा होगा । मुझे यहाँ की प्राकृतिक छटा के कुछ चित्र चाहिए । यदि उन्हें डाक द्वारा भेज सको तो बड़ी कृपा होगी।
मैं भी इस पत्र के साथ कुछ चुने हुए फोटोग्राफ तथा एक प्रकाशित कला चित्र भेज रहा हूँ । इसके अलावा मेरे योग्य कोई काम हो तो लिखना ।
शेष तुम्हारा उत्तर मिलने पर ।
तुम्हारा सद्भावी,
अतुल