भारत में खेलों का स्तर
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्रात्मक देश है। पिछले कई दशकों से भारत ने हर क्षेत्र में सफलताएँ अर्जित की हैं, परंतु अन्य देशों की तुलना में हमारे खेलों का स्तर अत्यंत निराशाजनक है, जो चिंता एवं अपमान का कारण है। कुछ समय तक हमने हॉकी में अवश्य अपना वर्चस्व कायम किया, पर अब वह भी समाप्त हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हमारे खिलाड़ी पहले कुछ राउंड्स में ही बाहर हो जाते हैं। केवल क्रिकेट में ही भारत का दबदबा है। क्रिकेट को छोड़कर अन्य खेलकूदों के खिलाड़ी भारत में अपने आप को अपेक्षित महसूस करते हैं क्योंकि उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। इस अपमानजनक स्थिति के लिए न तो सरकार की ओर से और न ही खेल संघों की ओर से गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिलाड़ियों का दल भेजकर सरकार अपने उत्तरदायित्व से मुक्त हो जाती है। हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। सानिया मिर्जा, महेश भूपति, अभिनव बिंद्रा, राज्यवर्धन सिंह राठौर, सुशील कुमार और विजेंद्र जैसे खिलाड़ियों ने विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है। खेलों में सुधार लाने के लिए सरकार को पहल करनी होगी और गहन प्रशिक्षण दिलाने के लिए विदेशों से कोच बुलवाने चाहिए। खेलों से जुड़े संघों का भी दायित्व है कि वे गुटबाज़ी छोड़कर अपने से जुड़े खिलाड़ियों की उपलब्धियों को राष्ट्रीय सम्मान से जोड़ें और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करके प्रोत्साहित करें।