महँगाई की समस्या
आज के युग ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है, जिनमें महँगाई की समस्या भी प्रमुख है। जब जीवनोपयोगी वस्तुएँ अधिक मूल्यों पर उपलब्ध होती हैं, विक्रेता या उत्पादक अधिकाधिक लाभ कमाने के लिए वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि कर देते हैं या वस्तुओं का कृत्रिम अभाव दिखाकर उन्हें अधिक दामों में बेचने का प्रयास करते हैं, तो महँगाई की समस्या उत्पन्न होती है। यह महँगाई एक प्रकार का लाइलाज मर्ज़ है, जिसका कोई निदान नहीं। आज जिसे देखो अधिक लाभ कमाने की फिराक में है। भ्रष्टाचार, मनाफाखोरी तथा जमाखोरी की प्रवृत्तियाँ, दोषपूर्ण वितरण प्रणाली, दोषपूर्ण सरकारी नीतियाँ, स्वार्थ, युद्ध, वस्तुओं के उत्पादन में कमी, प्राकृतिक प्रकोप, जैसे-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, भूकंप, बाढ़, सूखा आदि महँगाई बढ़ाने में सहायक होते हैं। महँगाई से भ्रष्टाचार, अशांति, अपराध, हड़तालें आदि बढ़ते हैं। महँगाई का सर्वाधिक दुष्प्रभाव मध्य वर्ग तथा गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के जीवनयापन पर पड़ता है। महँगाई पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार को दैनिक प्रयोग में आने वाली वस्तुओं के मूल्य निर्धारित करने चाहिए तथा उससे अधिक दाम वसूल करने वाले विक्रेताओं के विरुद्ध अत्यंत कठोर कदम उठाने चाहिए। साथ ही यदि किन्हीं कारणों से किसी वस्तु की कमी हो जाए, तो विदेशों से उसको आयात कर उस कमी को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। सरकार को अपनी कर प्रणाली इस प्रकार लागू करनी चाहिए कि उससे आवश्यक वस्तुओं के मूल्य न बढ़ें। साथ ही उत्पादन के नए-नए तरीकों को भी अमल में लाना चाहिए।