सच्ची मित्रता
मनुष्य स्वयं में अधूरा है। उसे अपने सुख-दुःख बाँटने के लिए तथा अपने मन की बात कहने के लिए भागीदार की आवश्यकता पड़ती है। सच्चा मित्र ही इस कार्य को कर सकता है। पंचतंत्र में कहा गया है-“जो व्यक्ति न्यायालय, श्मशान और विपत्ति के समय साथ देता है, उसे सच्चा मित्र समझना चाहिए।” मित्रता समानता के आधार पर होनी चाहिए। दोनों के आर्थिक स्तर में अधिक अंतर नहीं होना चाहिए। मित्र अपने से बहुत अधिक शक्तिशाली भी नहीं होना चाहिए। वह अच्छे चरित्र वाला तथा विनम्र होना चाहिए। विश्वासपात्र मित्र को पा लेना बहुत बड़ी उपलब्धि है। सच्चा मित्र जीवन की अनुपम निधि है। वह हमें अच्छे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, दोषों से हमारी रक्षा करता है, निराश होने पर उत्साहित करता है और महान कार्यों में हमारी सहायता करता है। सच्ची मित्रता एक कवच के समान हमारी रक्षा करती है। ऐसा मित्र जीवन में सफलता की कुंजी है। मित्र के सुख और सौभाग्य की चिंता करने वाला सच्चा मित्र बड़े भाग्य से मिलता है। किसी ने ठीक ही कहा है-“सच्चा मित्र बहुत कठिनाई से मिलता है।”