दूरदर्शन और जन-जागरण
Doordarshan aur Jan-Jagran
आधुनिक विज्ञान ने मानव को अनेक उपहारों से उपकृत किया है, जिनमें दूरदर्शन अत्यंत महत्त्वपूर्ण तथा लोकप्रिय है। दूरदर्शन आज सबसे सशक्त संचार माध्यम है। दूरदर्शन केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं है, अपितु अनेक प्रकार से उपयोगी सिद्ध हो रहा है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले अनेक कार्यक्रम हमारे ज्ञान में वृद्धि करते हैं। देश-विदेश के समाचार तथा अन्य जानकारी से हमें अन्य देशों की संस्कृति तथा गतिविधियों की घर बैठे झलक मिल जाती है। दूरदर्शन समाज को नई दिशा भी प्रदान करता है। दहेज प्रथा, छुआछूत, भ्रूण हत्या, सांप्रदायिकता जैसी बुराइयाँ जब कार्यक्रमों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाई जाती हैं, तो निश्चय ही समाज का परिष्कार होता है। इस पर दिखाई जाने वाली शिक्षाप्रद तथा सोद्देश्य फिल्में जन-जागरण का कार्य करती हैं। आज तो दूरदर्शन शिक्षा का भी सशक्त माध्यम बन गया है। दूरदर्शन के माध्यम से गणित, इतिहास, भूगोल, विज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा सफलतापूर्वक दी जा रही है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले विज्ञापन उत्पादकों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं क्योंकि इनसे उनके व्यापार में बहुत वृद्धि होती है। अंतर्राष्ट्रीय खेलकूद या अन्य कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण हम घर बैठे-बैठे देख सकते हैं। दूरदर्शन के अधिक प्रयोग से नेत्रों की ज्योति पर दुष्प्रभाव पड़ता है। आजकल दूरदर्शन की सबसे बड़ी हानि है-सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाना। विदेशी चैनलों के आ जाने से दूरदर्शन पर जिस प्रकार के कार्यक्रम तथा फ़िल्में आदि दिखाई जाती हैं, ये युवकों को दिग्भ्रमित करके उन्हें अपनी संस्कृति से दूर ले जा रही हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे कार्यक्रमों की समीक्षा करे तथा गुण-दोष के आधार पर इन्हें प्रसारित करने की अनुमति प्रदान करे।