ग्लोबल वार्मिंग के खतरे
Global Warming Ke Khatre
ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर समस्या है जिसका दुष्प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है। वायुमंडल में बहुत-सी गैसें विद्यमान हैं; जैसे-कार्बन-डाइ-ऑक्साइड, ओजोन, मिथेन और जलवाष्प आदि। ये बहुत उपयोगी हैं क्योंकि ये गैसें विकिरण को वायुमंडल से निकलने नहीं देतीं और पृथ्वी के चारों ओर एक गरम कंबल जैसा आवरण बना देती हैं। इसी से जलवायु प्रभावित होती है। वैज्ञानिक इसे ‘ग्रीन हाउस प्रभाव’ या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण जनसंख्या वृद्धि है। आबादी जितनी अधिक होगी, जीवाश्म ईंधन का उतना ही अधिक प्रयोग करेगी। तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस आदि के अत्यधिक प्रयोग किए जाने से वातावरण में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड एवं अन्य गैसों की मात्रा बढ़ जाने से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गई है। कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों की गरमी से भी अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। वाहनों से निकलने वाले विषैले धुएँ, कोयले से चलने वाले तापघरों, वातानुकूलन यंत्रों एवं प्रशीतकों से निकलने वाली घातक गैसें भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने का कारण बन रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग के फलस्वरूप तापमान में असंतुलन एवं मौसम-चक्र में आश्चर्यजनक रूप से अप्रत्याशित परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहे हैं।