स्वास्थ्य और व्यायाम
Swasthya Aur Vyayam
मानव जीवन में समस्त कार्यों का साधन शरीर है। सभी प्रकार के धर्मों का निर्वाह तभी संभव है, जब मानव का शरीर स्वस्थ तथा नीरोग हो। मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अनेक प्रकार के उपाय हैं-संतुलित तथा पौष्टिक भोजन, स्वच्छता तथा व्यायाम एवं खेलकूद। खेलकूद भी एक प्रकार का व्यायाम ही है। अच्छा स्वास्थ्य महा वरदान कहा गया है। जिस व्यक्ति का शरीर स्वस्थ है मानो उसने दुनिया की सभी प्रकार की दौलत पा ली, इसीलिए कहा गया हैतंदरुस्ती हजार नियामत। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष-जीवन के इन उद्देश्यों को केवल स्वस्थ शरीर द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। व्यायाम से आलस्य कोसों दूर भागता है तथा मनुष्य का शरीर स्फूर्तिवान, चुस्त एवं सुदृढ़ रहता है। आजकल देखा जा रहा है कि जो लोग बैठने का काम अधिक करते हैं तथा व्यायाम नहीं करते, उनका शरीर बेडौल हो जाता है, दृष्टि क्षीण हो जाती है तथा असमय में ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, तनाव जैसे अनेक रोगों से ग्रसित हो जाते हैं। विद्यार्थियों के लिए व्यायाम अत्यंत आवश्यक है क्योंकि विद्यार्थी काल भावी जीवन की आधारशिला है; अत: प्रत्येक विद्यार्थी को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए तथा अपने शरीर को रोगमुक्त रखना चाहिए।