ईश्वर उसी की सहायता करता है
जो अपनी सहायता आप करता है
Ishwar Usi ki Sahayata karta hai Jo
जो अपनी सहायता आप करता है – दूसरों का मुखापेक्षी व्यक्ति कभी भी उन्नति नहीं कर सकता जबकि परिश्रमी मनुष्य किसा सहायता या मदद की प्रतीक्षा न करके अपनी मदद स्वयं करता है। इस प्रकार अपने भाग्य का स्वयं निर्माता होता है।
इस तथ्य को प्रमाणित करती हुई यह कहानी पेश है।
एक लकड़हारा लकड़ियाँ काटकर शाम को जंगल से वापस लौट रहा था। रास्ते में उसकी लकड़ियों से भरी गाडी एक नाले में फंस गई। नाले में कीचड़ था अत: उसकी गाड़ी का पहिया कीचड़ में फंस गया। गाड़ी का पहिया कीचड़ में फंसा देख लकड़हारा बहुत निराश हुआ। उसने बैलों को बहुत पीटा किन्त गाडी का पहिया हिला तक नहीं। उसने अन्त में अपने इष्ट को पुकारा और मदद की गुहार लगाई। देवता प्रकट हुआ और उसने कहा-अरे! भखे बैलों को मारकर तम्हारी गाड़ी का पहिया क्या कीचड़ से निकल सकेगा? तुम खुद क्यों ज़ोर नहीं लगाते और बैलों को ललकारो, फिर देखो क्या होता है ?
देवता की बात सुनकर लकड़हारा बहुत खुश हुआ। उसने बड़े उत्साह से उसके कथनानुसार खुद जोर लगाया और बैलों को भी ललकारा जिससे उसकी गाड़ी का पहिया नाले से बाहर आ गया।
उसने मन ही मन देवता का धन्यवाद किया और बोला-“प्रभु आपकी दया से मेरी गाड़ी का पहिया बाहर आया-घर पहुँचकर मैं सवा रुपए का प्रसाद चढ़ाऊंगा।” इस पर देवता ने कहा-“मैंने क्या किया है, जो भी हुआ है तुम्हारे स्वयं के प्रयास से हुआ, मैं तो कारण मात्र था, साधन तो तुम ही थे। यह कहकर देवता अलोप हो गया।”
शिक्षा-अपनी सहायता स्वयं करनी चाहिए।